Not known Facts About Shodashi

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The Matrikas, or maybe the letters with the Sanskrit alphabet, are considered the refined method of the Goddess, with each letter Keeping divine ability. When chanted, these letters Incorporate to sort the Mantra, making a spiritual resonance that aligns the devotee Together with the cosmic Vitality of Tripura Sundari.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

Shodashi’s Electrical power fosters empathy and kindness, reminding devotees to technique Other people with comprehension and compassion. This profit encourages harmonious associations, supporting a loving method of interactions and fostering unity in relatives, friendships, and Group.

She will be the one particular owning extreme elegance and possessing electricity of delighting the senses. Enjoyable mental and emotional admiration in the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

The Tale is a cautionary tale of the power of need plus the requirement to acquire discrimination by meditation and adhering to the dharma, as we progress inside our spiritual route.

श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual progress and also the attainment of worldly pleasures and comforts.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

Hadi mantras are noted for their power here to purify and are generally utilized for cleaning rituals and preparatory tactics.

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